शिशु का वजन न बढ़ने के पीछे हो सकते हैं ये 7 कारण, जानें वजन बढ़ाने के उपाय

Sep 25, 2025

शिशु का वजन न बढ़ने के पीछे हो सकते हैं ये 7 कारण, जानें वजन बढ़ाने के उपाय

हर माता-पिता चाहते हैं कि उनका बच्चा स्वस्थ और मजबूत बने। लेकिन कई बार ऐसा होता है कि शिशु का वजन उम्र के अनुसार नहीं बढ़ता। यह समस्या आम है और अक्सर माता-पिता को चिंता में डाल देती है। जन्म से 2 साल तक का समय बच्चे की ग्रोथ और इम्यूनिटी के लिए सबसे अहम होता है। इसी दौरान अगर वजन सही से नहीं बढ़ रहा है तो यह पोषण, नींद, स्तनपान, या स्वास्थ्य से जुड़ी कई वजहों की ओर इशारा कर सकता है।

इस लेख में हम विस्तार से जानेंगे वे 7 मुख्य कारण, जिनकी वजह से शिशु का वजन नहीं बढ़ पाता, और साथ ही मिलेंगे व्यवहारिक उपाय, जिनसे आप अपने बच्चे के स्वास्थ्य और वजन दोनों में सुधार कर सकते हैं।

शिशु का वजन न बढ़ने के 7 प्रमुख कारण

शिशु का वजन कई कारकों पर निर्भर करता है भोजन की गुणवत्ता, उसकी पाचन क्षमता, नींद और शारीरिक गतिविधियाँ। जब इनमें से किसी एक हिस्से में असंतुलन होता है, तो उसका सीधा असर बच्चे की ग्रोथ पर पड़ता है। इसलिए हर कारण को समझना और समय पर सुधार करना ज़रूरी है।

1. कैलोरी की कमी (Calorie Deficit)

शिशु को पर्याप्त कैलोरी युक्त भोजन न मिलना या ज्यादा एक्टिव होना, दोनों ही वजहें उसके वजन को प्रभावित कर सकती हैं।

  • अगर बच्चा बहुत ज्यादा खेलता या एक्टिव है लेकिन भोजन कम लेता है, तो उसका वजन बढ़ना रुक सकता है।

  • यह स्थिति 6 महीने के बाद और भी आम होती है जब बच्चा रेंगना और चलना सीखने लगता है।


संकेत: बच्चा बार-बार भूखा लगता है, लेकिन खाने के बाद भी थकान जल्दी महसूस करता है।

2. आयरन की कमी (Low Iron Levels)

आयरन बच्चों की ग्रोथ और हेमोग्लोबिन के लिए बेहद जरूरी है। आयरन की कमी से:

  • बच्चे को भूख कम लगती है।

  • शरीर में थकान और कमजोरी बनी रहती है।

  • दिमागी विकास और इम्यूनिटी भी प्रभावित होती है।

संकेत: बच्चा बार-बार सुस्त रहता है, चेहरा पीला दिखता है और वजन धीरे-धीरे बढ़ता है।

3. बहुत अधिक लिक्विड डाइट (Excessive Liquid Diet)

अगर बच्चे को सिर्फ दूध, जूस या लिक्विड फूड दिया जा रहा है, तो उसे ठोस भोजन से मिलने वाले पोषक तत्व नहीं मिल पाते।


  • तरल आहार पेट जल्दी भर देते हैं, लेकिन उनमें कैलोरी और प्रोटीन की कमी होती है।

  • इससे बच्चे की ग्रोथ धीमी हो जाती है।

संकेत: बच्चा तरल पदार्थ पीने में रुचि दिखाता है लेकिन ठोस खाना खाने में आनाकानी करता है।

4. असंतुलित आहार (Unbalanced Diet)

भारतीय घरों में कई बार बच्चे को सिर्फ रोटी या चावल पर आधारित डाइट दी जाती है।


  • यह पेट भर देती है लेकिन पोषण अधूरा रहता है।

  • प्रोटीन, हेल्दी फैट्स और विटामिन-मिनरल्स की कमी बच्चे के वजन और हाइट दोनों को प्रभावित करती है।


संकेत: बच्चा खाना तो खाता है, लेकिन फिर भी वज़न और ताकत नहीं बढ़ती।

5. जेनेटिक्स और अन्य कारण (Genetics and Other Factors)

कुछ बच्चे आनुवंशिक कारणों से स्वाभाविक रूप से पतले रहते हैं। इसके अलावा:


  • खराब नींद

  • पर्याप्त पानी न पीना

  • बार-बार होने वाले संक्रमण भी बच्चे की ग्रोथ को प्रभावित कर सकते हैं।


संकेत: बच्चे का खानपान अच्छा होने के बावजूद वजन न बढ़ना।

6. स्तनपान संबंधी समस्याएं (Breastfeeding Issues)

शिशु को जीवन के पहले 6 महीने सिर्फ माँ का दूध ही सबसे जरूरी पोषण देता है। लेकिन अगर:


  • बच्चा सही से लैच नहीं कर पाता,

  • दूध पर्याप्त मात्रा में नहीं मिलता, तो शिशु को जरूरी पोषक तत्व नहीं मिलते।


संकेत: बच्चा बार-बार दूध पीना चाहता है लेकिन संतुष्ट नहीं दिखता।

7. गलत आदतें जैसे चाय या कैफीन देना (Wrong Practices)

भारत के कई घरों में बच्चों को कम उम्र में ही चाय या कैफीन युक्त पेय दे दिए जाते हैं।


  • चाय में मौजूद कैफीन और टैनिन आयरन का अवशोषण रोकते हैं।

  • इससे भूख कम लगती है और बच्चे का वजन नहीं बढ़ता।


संकेत: बच्चा खाना खाने में रुचि कम दिखाता है और एनर्जी कम महसूस करता है।

शिशु का वजन बढ़ाने के व्यवहारिक उपाय

वजन न बढ़ने के कारणों को समझने के बाद अगला कदम है सही उपाय अपनाना। छोटे-छोटे बदलाव और पौष्टिक विकल्पों की मदद से शिशु के वजन और संपूर्ण स्वास्थ्य दोनों में सुधार लाया जा सकता है। नीचे बताए गए उपाय हर माता-पिता के लिए व्यवहारिक और आसानी से अपनाने योग्य हैं।

1. कैलोरी युक्त और पौष्टिक आहार दें

बच्चे की बढ़ती उम्र और गतिविधियों के अनुसार उसे कैलोरी से भरपूर आहार की आवश्यकता होती है।


  • 6 महीने के बाद धीरे-धीरे सॉलिड फूड्स शुरू करें। शुरुआत नरम और पचने में आसान विकल्पों से करें जैसे – खिचड़ी, दलिया, दही, सूजी का हलवा।

  • ऊर्जा देने वाले स्नैक्स: उबले आलू, केले का शेक, पनीर, घी से बना हलवा। ये बच्चे को तुरंत एनर्जी देने के साथ-साथ लंबे समय तक तृप्त रखते हैं।

  • छोटे-छोटे भोजन: दिन में 5–6 बार हल्का और पौष्टिक आहार दें, क्योंकि बच्चों का पेट छोटा होता है और एक बार में ज्यादा खाना मुश्किल होता है।

  • हेल्दी फैट्स: घी, मक्खन की थोड़ी मात्रा, एवोकाडो या नट्स पाउडर (1 साल से ऊपर के बच्चों के लिए) वजन बढ़ाने में सहायक होते हैं।


2. आयरन और विटामिन C से भरपूर भोजन

आयरन से हीमोग्लोबिन बनता है और विटामिन C इसके अवशोषण में मदद करता है।


  • आयरन युक्त फूड्स: पालक, मेथी, चुकंदर, अनार, दालें, किशमिश और गुड़।

  • विटामिन C के स्रोत: नींबू, संतरा, टमाटर, अमरूद, पपीता।

  • कैसे दें: दाल के पानी या पालक की प्यूरी के साथ नींबू का रस मिलाकर दें। अनार या सेब को प्यूरी बनाकर खिलाएँ।

  • सावधानी: दूध और आयरन सप्लीमेंट/आयरन युक्त फूड्स को एक साथ न दें, क्योंकि दूध आयरन के अवशोषण को कम करता है।


3. लिक्विड के साथ ठोस भोजन शामिल करें

सिर्फ दूध या जूस से पेट भरना पर्याप्त नहीं है।


  • ठोस आहार की शुरुआत: उबले आलू, नरम फल (केला, पपीता, आम), सब्जियों की प्यूरी या दलिया दें।

  • मिक्स्ड मील: दाल-चावल को मैश कर हल्का घी डालकर दें।

  • धीरे-धीरे टेक्सचर बदलें: शुरू में नरम और प्यूरी वाला भोजन दें, फिर बच्चे के बढ़ने पर हल्का ठोस, छोटे टुकड़े वाला भोजन शुरू करें।

  • फायदा: इससे बच्चे को चबाने की आदत लगती है और पाचन तंत्र मजबूत होता है।


4. स्तनपान सही तरीके से कराएं

जीवन के पहले 6 महीने बच्चे के लिए माँ का दूध सबसे पौष्टिक आहार है।


  • फीडिंग का समय: हर स्तनपान सत्र कम से कम 15–20 मिनट का रखें।

  • लैचिंग तकनीक: सुनिश्चित करें कि बच्चा सही तरीके से स्तन पकड़ रहा है ताकि उसे पर्याप्त दूध मिले।

  • ब्रेस्ट स्विच करें: एक बार दूध पिलाने के बाद अगली बार दूसरा स्तन दें ताकि बच्चा “hind milk” (ज्यादा फैट वाला दूध) भी पी सके, जो वजन बढ़ाने के लिए जरूरी है।

  • अगर दूध कम बनता है: माँ अपने आहार में मेथी, सौंफ, जीरा पानी और प्रोटीन युक्त भोजन शामिल करे।


5. माँ का आहार संतुलित रखें

माँ का खानपान सीधे बच्चे के दूध की गुणवत्ता और मात्रा पर असर डालता है।


  • प्रोटीन युक्त आहार: दालें, अंडा, दूध, दही, पनीर और मछली।

  • हरी सब्जियाँ और फल: पालक, मेथी, गाजर, पपीता, मौसमी।

  • पानी और हाइड्रेशन: माँ को दिनभर में कम से कम 2–3 लीटर पानी पीना चाहिए।

  • आराम और नींद: तनाव और नींद की कमी से दूध की मात्रा कम हो सकती है।

  • सप्लीमेंट: जरूरत पड़ने पर डॉक्टर की सलाह से आयरन और कैल्शियम सप्लीमेंट लें।


6. चाय और कैफीन से बचाएं

चाय, कॉफी और पैकेज्ड एनर्जी ड्रिंक बच्चों के लिए नुकसानदायक हैं।


  • क्यों नुकसानदायक? इनमें मौजूद कैफीन और टैनिन बच्चे की भूख को दबा देते हैं और आयरन अवशोषण को रोकते हैं।

  • आयु सीमा: 10 साल से कम उम्र के बच्चों को कैफीन नहीं देना चाहिए।

  • स्वस्थ विकल्प: इसके बजाय बच्चों को घर का बना नींबू पानी, नारियल पानी या सूप दें।


7. स्वास्थ्य समस्या पर ध्यान दें

कई बार वजन न बढ़ने का कारण कोई छुपी हुई स्वास्थ्य समस्या भी हो सकती है।


  • बार-बार संक्रमण: बार-बार सर्दी-जुकाम, पेट की समस्या या बुखार होने पर वजन रुक सकता है।

  • एलर्जी या पाचन समस्या: कुछ बच्चों को दूध या गेहूं से एलर्जी होती है, जिससे भोजन का अवशोषण सही से नहीं हो पाता।

  • थायरॉइड या मेटाबॉलिक डिसऑर्डर: दुर्लभ मामलों में हार्मोनल असंतुलन भी वजन को प्रभावित करता है।

  • क्या करें: अगर शिशु का वजन लगातार नहीं बढ़ रहा, तो पेडियाट्रिशियन से चेकअप कराएँ और जरूरत पड़ने पर खून की जांच या अन्य टेस्ट करवाएँ।

निष्कर्ष

शिशु का वजन न बढ़ना कई कारणों से हो सकता है जैसे कैलोरी या पोषण की कमी, आयरन की कमी, असंतुलित आहार, स्तनपान की समस्या, या गलत आदतें। इन कारणों की पहचान कर समय रहते सही कदम उठाने से बच्चे की ग्रोथ और इम्यूनिटी दोनों में सुधार किया जा सकता है। हर बच्चा अलग होता है, इसलिए वजन न बढ़ने की स्थिति में जल्द से जल्द डॉक्टर से सलाह लेना सबसे सुरक्षित और जरूरी उपाय है।


साथ ही, यह भी याद रखें कि शिशु का शारीरिक और मानसिक विकास केवल आहार से नहीं बल्कि खेलने और सक्रिय रहने से भी जुड़ा है। सही पोषण और भरपूर एक्टिविटी का संतुलन बच्चे को मजबूत और खुशहाल बनाता है। 


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